لمحتُ أعينهم بالحقد تلتهبُ...!
يتساءلون هل تكتبين الشعر موهبة
أم أن روحك من لواعج الشوق تنتحبُ!
فأجبتُ: أن الله قد هباني معرفة
ولكن في كلا الحالتين قلبي يضطربُ!
فزاد فضول حُسادي كنارٍ موقدة
ومعاني الشر تدنو وتقتربُ...!
قلتُ: انصتوا يا قوم أني معلنة
بأني لعالم الفن والأدب أنتسبُ!
إن كانت أرواحكم من الجمالِ مفلسة
فأي جريمة بحقها ترتكبُ...!
بالقصائدِ يبدو الكون كأغنية
ما بين ألف لحنٍ ولحنٍ تنطرب...!
فغادروا بفضولكم عني أني مُحلقة
في حضن الغمامِ حرفي ينسكبُ!
inst: reham_madkhali.